गीतकार Manzoor Ahmer
दर्द जब तेरी अता है तो गिला किससे करें
हिज्र जब तूने दिया हो तो मिला किससे करें
अक्स बिखरा है तेरा टूट के आईने के साथ
हो गई ज़ख़्म नज़र अक्स चुना किससे करें
मैं सफ़र में हूँ मेरे साथ जुदाई तेरी
हमसफ़र ग़म हैं तो फिर किसको जुदा किससे करें
खिल उठे गुल या खुले दस्त\-ए\-हिनाई तेरे
हर तरफ़ तू है तो फिर तेरा पता किससे करें
तेरे लब तेरी
निगाहें तेरे आरिज़ तेरी ज़ुल्फ़
इतने ज़िंदा हैं तो इस दिल को रिहा किससे करें